Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -28-May-2022 - ग़ज़ल

ग़ज़ल 
रदीफ़ :- नहीं हूं मैं

बेगानों सा तो, अनजान नहीं हूं मैं,
है मुझमें जज्बात, बेजान नहीं हूं मैं।

प्यार का आलम, खो गया मुझसे कहीं,
जान गया कि तेरा, अरमान नहीं हूं मैं।

दिल टूट गया जालिम, कुछ इस कदर,
बुरे हैं मेरे हालात, कद्रदान नहीं हूं मैं।

लफ्ज़ मेरे भी, पिघलते शीशे की तरह,
क्या तूने सोचा कभी, बेजुबान नहीं हूं मैं।

सिफारिशों का दौर, यूं ही चलता रहे,
बेवफा इतना भी, मेहरबान नहीं हूं मैं।

बंदगी तेरी जो रही, किसी और के लिए,
मान गया कि तेरा, ईमान नहीं हूं मैं।

बेवजह न मुझको, सुलगा अब शिखा,
मुस्कुराहट पर तेरी, कुर्बान नहीं हूं मैं।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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10 Comments

Seema Priyadarshini sahay

29-May-2022 11:20 PM

👌👌

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Shrishti pandey

29-May-2022 05:23 PM

Nice

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Abhinav ji

29-May-2022 08:06 AM

Nice👍

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